खेती | Kheti 2023

जैसा कि हम जानते हैं दोस्तो, हमारा प्यारा भारत, एक कृषि प्रधान देश हैं और भारत की अर्थव्यवस्था में खेती का महत्वपूर्ण योगदान हैं।

भारत के गांवों में खेती-बाड़ी करना एक मुख्य व्यवसाय हैं, जिसके साथ साथ गांव के लोग पशुपालन इत्यादि कर के भी अपना जीवन निर्वाह करते हैं आगे हम जानते हैं कि खेती क्या होती हैं और भारत में कितने प्रकार की खेती की जाती हैं।

खेती क्या हैं?

खेती, पृथ्वी के उपयुक्त भू-भागों में फसलों और पशुओं की उत्पादन प्रक्रिया है, जिसमें जमीन को जोतने, बीज बोने, पानी देने, खाद देने और फसलों को काटने जैसे कई कदम होते हैं। खेती में उचित समय, ध्यान, और वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करके फसलों और पशुओं का उत्पादन किया जाता है, खेती एक प्रकार का कृषि है जिसमें फसलों को बुवाई और उनकी देखभाल करके उन्हें फलने-फूलने दिया जाता है। खेती के द्वारा जीविका पार्जन और व्यवसाय किया जाता है, जो भूमि, वर्षा और मौसम के साथ-साथ प्रकृति के अन्य तत्वों से भी प्रभावित होता है।)

खेती कई प्रकार की होती है, जिनमें सम्मिलित किया जा सकता है:

  1. विशिष्ट खेती (Specialized Farming)
  2. मिश्रित खेती (Mixed Farming)
  3. बहुप्रकारीय खेती (Diversified Farming)
  4. शुष्क खेती ( Dry Farming)
  5. रैचिंग खेती (Ranching Farming)

विशिष्ट खेती एक विशेष प्रकार की कृषि प्रणाली है जो फसलों की उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करती है। इसमें विज्ञान, तकनीक, और नवाचार का प्रयोग होता है जो खेती के उत्पादन को बेहतर बनाने में सहायक होता है।

1. विशिष्ट खेती (Specialized Farming)

विशिष्ट खेती के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

उत्पादन की वृद्धि: विशिष्ट खेती तकनीकें किसानों को बेहतर उत्पादन देने में मदद करती हैं, जिससे फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है।

प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग: विशिष्ट खेती तकनीकें संसाधन संचयन, जल व्यवस्थापन, और भूमि संरक्षण को सुनिश्चित करती हैं।

कम खर्च: विशिष्ट खेती के उपयोग से कृषि क्षेत्र में लागत कम होती है, जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होता है।

उन्नत तकनीकी: इसमें उन्नत तकनीकी का उपयोग होता है, जिससे किसानों को नए विकासों और समृद्धि के अवसर मिलते हैं।

बाजार विकास: विशिष्ट खेती की तकनीकें उत्पादों के बाजार में नए अवसर प्रदान करती हैं और उत्पादकों के लिए नए ग्राहकों के लिए बाजार का विकास करती हैं।

इस तरह, विशिष्ट खेती उच्च उत्पादकता, समृद्धि, और गुणवत्ता से संबंधित है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों और किसानों को मिलकर काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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2. मिश्रित खेती (Mixed Farming)

मिश्रित खेती एक ऐसी कृषि प्रक्रिया है जिसमें किसान एक ही खेत में अलग-अलग प्रकार के फसलों को उगाते हैं। यह खेती प्रणाली जलवायु, जल संसाधन, मिट्टी की गुणवत्ता और पानी के उपलब्धता के अनुसार आयोजित की जाती है। इस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य लाभदायक और फसलों के विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की पूर्ति करना होता है। इसलिए, मिश्रित खेती कई तरह के लाभ प्रदान करती है, जिनमें निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल हैं:

मिश्रित खेती
  • फसलों की विविधता: मिश्रित खेती के तहत किसान एक ही खेत में अलग-अलग प्रकार की फसलें उगा सकते हैं, जो उन्हें विविध आय विधि के साधन प्रदान करते हैं। इससे उनके लिए अनेक साधनों पर निर्भरता कम होती है।
  • पोषक तत्वों की उचित उपलब्धता: एक ही खेत में अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की उपलब्धता की समस्या कम हो जाती है। इससे फसलों की उत्पादकता बढ़ती है और उनमें पोषक तत्वों का सही संतुलन बना रहता है।
  • कीट-रोग प्रबंधन: मिश्रित खेती में अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाने से कीट-रोगों का प्रबंधन सुगम हो जाता है। एक प्रकार की फसल में होने वाले कीट-रोग से दूसरी प्रकार की फसल असरशान होती है और प्राकृतिक रूप से कीट प्रबंधन होता है।
  • जल संरचना और समयबद्ध नियंत्रण: मिश्रित खेती की मदद से किसान जल संरचना और समयबद्ध नियंत्रण कर सकते हैं। इससे जल संसाधन का उचित उपयोग होता है और खेती के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित रहती है।
  • सहकारी विकास: मिश्रित खेती के तहत किसान एक साथ अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। इससे सहकारी विकास की संरचना होती है और खेती के क्षेत्र में समृद्धि बढ़ती है।
  • जैविक खेती को प्रोत्साहित करना: मिश्रित खेती जैविक खेती को प्रोत्साहित करती है, क्योंकि इसमें कीटनाशकों का कम उपयोग होता है और फसलें प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होती हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, जैविक खेती बायो-डाइवर्सिटी को बढ़ावा देने में सहायक होती है, जो भविष्य में कृषि के लिए संतुलित पर्यावरण का निर्माण करता है।
  • रिसर्च और विकास को प्रोत्साहन: मिश्रित खेती रिसर्च और विकास को प्रोत्साहित करती है, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने से नई तकनीकों और उत्पादों का प्रयोग हो सकता है।
  • वाणिज्यिक मूल्य बढ़ाना: मिश्रित खेती से उत्पादित विविधता व्यापारिक मूल्य को बढ़ाती है। विभिन्न फसलों की विक्रय अवधि भी विस्तारित होती है, जिससे किसानों को अधिक विकल्प मिलते हैं।
  • पोषण में सुधार: मिश्रित खेती में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने से भोजन का पोषण सुधारता है। इससे भोजन के पोषक तत्व विभिन्न खाद्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य: विभिन्न फसलों के उत्पादन से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। लोगों को विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का उपभोग करने का अवसर मिलता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: मिश्रित खेती से खेतों के पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है। इसके माध्यम से जल और जलवायु संसाधन का समयबद्ध उपयोग होता है और भूमि की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है।

इस रूप में, मिश्रित खेती एक समृद्ध, सामर्थ्यशाली और पर्यावरण सुरक्षित कृषि प्रक्रिया है, जो न केवल किसानों को वर्दी में लाभ प्रदान करती है, बल्कि भविष्य की कृषि उत्पादन और पर्यावरण के संतुलन को भी सुनिश्चित करती है।

3. बहुप्रकारीय खेती (Diversified Farming)

बहुप्रकारीय खेती, जिसे अंग्रेजी में “Diversified Farming” कहा जाता है, यह एक खेती की प्रक्रिया है जिसमें किसान विभिन्न प्रकार के फसलों और पशुओं को उगाने और पालने का प्रयास करता है। इस प्रकार की खेती में, किसान एक ही फसल पर निरंतर नहीं डालता, बल्कि अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाने की कोशिश करता है।

इसकी विशेषता है कि यह खेती किसानों को बौद्धिक और आर्थिक रूप से समृद्ध करती है। क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन होता है, इससे किसानों को एक ही फसल पर होने वाले आर्थिक और पर्यावरण संबंधी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही, बहुप्रकारीय खेती पोषक तत्वों की विभिन्नता को भी बढ़ाती है और भूमि के पोषक तत्वों का नुकसान नहीं होता है। इससे मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना भी संभव होता है।

इसके अलावा, बहुप्रकारीय खेती विभिन्न प्रकार की फसलों के संयोजन से एक अधिक पैदावार भी देती है, जिससे किसान की आय बढ़ती है और उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके फलस्वरूप, खेती के साथ-साथ, पशुपालन और बगीचे भी उचित रूप से विकसित होते हैं, जो किसान को अतिरिक्त आय प्रदान करते हैं।

यह एक संरक्षक खेती पद्धति भी है, क्योंकि विभिन्न प्रकार की फसलों की वैशिष्ट्य भिन्न-भिन्न कीट-रोगों और कीटाणु के प्रकारों के प्रति प्रतिरक्षा करती है। इससे एक ही फसल पर एकदिवसीय प्रतिक्रिया से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

इस प्रकार, बहुप्रकारीय खेती एक समृद्ध और सुस्तगत खेती पद्धति है, जो किसानों के लिए एक साथ कई लाभ प्रदान करती है।

Diversified Farming

4. शुष्क खेती ( Dry Farming)

शुष्क खेती, जिसे अंग्रेजी में “Dry Farming” कहते हैं, एक खेती प्रणाली है जो तब उपयोगी होती है जब विशेष रूप से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में खेती करने की आवश्यकता होती है। इस प्रणाली में किसान अनुकूल समय पर जल संचय करने के तरीके का उपयोग करते हैं और मौसम के अनुकूल रोपण और खेती विधियों का पालन करते हैं।

शुष्क खेती की विशेषता यह है कि इसमें खेतों के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे जल संचयन और संचयित जल का उपयोग किसानों के लिए संभव होता है। इसमें प्राकृतिक तरीके से जल संचयन करने वाली मिट्टी के उपयोग से जल के उपयोग में कमी होती है, जिससे समृद्धि विकास और पर्यावरण सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।

यह विधि विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उपयोगी होती है, जहां पानी की कमी होती है या अनियमित वर्षा होती है। शुष्क खेती में पानी की बचत के कारण, यह प्रणाली सुस्त वनस्पति उपजाऊ विधियों के लिए उपयुक्त होती है, जो क्षेत्र के जलवायु के अनुसार विकसित की जाती हैं।

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5. रैचिंग खेती (Ranching Farming):

रैचिंग खेती, जिसे रैंचिंग फार्मिंग भी कहा जाता है, एक ऐसी खेती प्रक्रिया है जिसमें पशुओं को खेती करने के लिए खुले मैदान में घास, चारा या चारागाहों को चराया जाता है। इसमें पशुओं को खुली हवा और खुले आकार के इलाकों में रखने का मुख्य उद्देश्य होता है। इस तरीके से पशु पालन का प्रबंधन सरल हो जाता है और पशुओं के लिए खुली प्राकृतिक वातावरण का लाभ मिलता है। इस प्रकार की खेती ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, भारत तथा तिब्बत के पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्रों में भेड़ तथा बकरी आदि चराने के लिए दी जाती हैं। इस लिए ऑस्ट्रेलिया में भेड़ बकरी पालन कराने वाले लोगों को रैंचर कहा जाता हैं

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