GOAT FARMING: कम खर्च में बकरी पालन कैसे शुरू करें

दोस्तों हम बात कर रहे हैं बकरी पालन Goat farming के बारे में जिसके जरिए आप कम पैसे में बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

दोस्तों आज हर कोई अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोच रहा है, लेकिन ज्यादा पैसे खर्च करने से डरता है। क्या आप भी किसी नए और रोमांचक उद्यम की तलाश में हैं?

तो आज हम आपको एक ऐसे बिजनेस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें आप कम पैसे में भारी मुनाफा कमा सकते हैं।

बकरी पालन कैसे शुरू करें:

अपने मुख्य लेख में हम आपको बकरी पालन के बारे में पूरी जानकारी देना चाहते हैं ताकि आप आसानी से अपना व्यवसाय शुरू कर सकें, तो चलिए बकरी पालन के बारे में बात करते हैं।

Goat farming business plan

दोस्तों  बकरी पालन Goat farming का व्यवसाय बहुत प्राचीन व्यवसायों में से एक है। इसमें थोड़ सो पैसा लगाकर इस व्यवसाय को किया जा सकता है। तथा अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। इस में सही ज्ञान और संसाधनों के साथ, यह एक पूर्ण और लाभदायक उद्यम हो सकता है।

  • दोस्तों आज देश में बकरी पालन Goat farming का व्यवसाय  गाय-भैंस के व्यवसाय के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. चूँकि बकरी शारीरिक आकार में गाय/भैंस से छोटी होती है और इसकी उच्च प्रजनन क्षमता और एक कुशल चरने वाला जानवर होने के कारण इसे पालना आसान होता है।
  • बकरियों की सबसे बड़ी विशेषता मनुष्य और पशुओं के लिए गैर उपयोगी/कम/गौण पदार्थों को बहुत उपयोगी उत्पादों जैसे-दूध और मांस, दूसरे उत्पाद/उपउत्पाद रेशा, बाल, खाल, खाद आदि में बदलने की सामर्थ्य एवं क्षमता है। एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछ़े की एक बड़ी वजह गाय-भैंस के मुकाबले इसका सस्ता होना भी है |
  • आज जहां दूध देने वाली गाय\भैंस कम से कम 60 हजार रुपये से लेकर एक लाख तक की आती है तो वहीं अच्छी नस्ल की बकरी आम लोगो के बजट में (12 से 15 हजार) रुपये तक आसानी से मिल जाती है|

Goat farming loan

देश में बढ़ते बकरी पालन Goat farming का एक प्रमाण ये भी है कि एक वक्त में नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत आने वाले 15 हजार आवेदन पत्रों की संख्या में 13 हजार आवेदन पत्र बकरी पालन से जुड़े हुए थे |

आज देश में बकरी पालन Goat farming दूध और मीट के साथ-साथ ब्रीडिंग सेंटर के रूप में भी किया जा सकता है | आज के समय मैं कम पढ़े लिखे लोग ही नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी डिग्रीया वाले भी बकरी पालन कर रहे हैंl

  • बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने वालों में 60% से ज्यादा लोग ग्रेजुएट और उच्च शिक्षित हैं |
  • बकरी पालन अब चार-पांच बकरियों का नहीं रह गया हैl
  • केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के रिकॉर्ड पर देखें तो आईआईटी से पास आउट और रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस भी बकरी पालन कर रहे हैं|
  • दोस्तों आजकल तो सरकार भी नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत बकरी पालन के लिए लोन दे रही है |

इसे भी पढ़ें: खरीफ फसलें  kharif crops

बकरी पालन करने का प्लान (Road map of goat farming):

इसके पालन में न किसी विशेष प्रकार के आहार आदि की आवश्यकता होती है न ही और किसी खास किस्म के बड़े आवास या विशेष जलवायु की जरूरत पड़ती है। बकरी पालन Goat farming एक ऐसा व्यवसाय है जिसको महिलाओं और बच्चों की सहायता से बड़ी आसानी से किया जा सकता है।

अगर आप भी बकरी पालन Goat farming करने का प्लान बना रहे हैं तो खासतौर पर कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना होगा | जैसे की :-

  1. अच्छी नस्ल का चयन
  2. आहार
  3. प्रजनन
  4. स्वास्थ प्रबन्धन
  5. कैसा हो बकरी आवास

अच्छी नस्ल का चयन:

नस्ल चुनने की बात आती है, तो विचार करने के लिए कई कारक होते हैं। प्रत्येक नस्ल की अपनी अनूठी विशेषताएं होती हैं, जैसे दूध उत्पादन, मांस की उपज और विभिन्न जलवायु के प्रति सहनशीलता।

अच्छी नस्ल:

  • अच्छी नस्ल की बकरा/बकरियों के चयन में जलवायु तथा आकार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
  • बड़े आकार वाली नस्लें :- झकराना, बील, जमुनापारी
  • मध्यम आकार वाली नस्लें :- मारवाडी, सिरोही, मैहसाना
  • छोटे आकार वाली नस्लें :- ब्लैक बंगाल, बरबरी.
goat farming

दूध वाली बकरी:

  • ब्लैक बंगाल, बीटल, बरबरी, जखराना, सिरोही, तोतापरी, सोजर और सुरती |
  • ब्लैक बंगाल- 750 ग्राम तक रोजाना|
  • ब्लैक बंगाल एक बार में तीन बच्चे देती है.
  • बीटल- रोजाना 3 से 4 लीटर दूध देती है
  • बरबरी- रोजाना 1 से 2.5 लीटर दूध देती है.
  • तोतापरी, जखराना, सोजर ,सिरोही, और सुरती 2 से 3 लीटर दूध रोजाना देती है.

मीट वाले बकरे:

बरबरी और ब्लैक बंगाल

  • दोस्तों वैसे तो हर किस्म की नस्ल के बकरो का मीट बाजार में बिकता है.| लेकिन ब्लैक बंगाल और बरबरी बकरो के मीट की डिमांड ज्यादा रहती है

आहार:

बकरियों/बकरो के भोजन के मुख्य स्रोत निम्न हैं –

  • अनाज वाली फसलों से प्राप्त चारे।
  • दलहनी फसलों से प्राप्त चारे।
  • पेड पौधों की फलियॉ व पत्तियाँ।
  • विभिन्न प्रकार की घास व झाडियाँ।
  • दाने व पशु आहार।

प्रजनन:

  • किसी भी प्रकार के पशु पालन व्यवसाय की सफलता में उसके प्रजनन (जननचक्र) का विशेष महत्व होता है, बकरियों में तरह-तरह की जलवायु में सामंजस्य बैठाने की विशेष क्षमता है।
  • इस कारण बकरियां अपने देश के अलग-अलग तरह के भौगोलिक क्षेत्रों में आसानी से पाली जा रही हैं।
  • कई नस्लों में एक से ज्यादा  मेमने पैदा करने की क्षमता होती है| बकरियां अन्य पशु प्रजातियों की अपेक्षा प्रजनन के लिए जल्दी तैयार हो जाती हैं।
  • बकरी लगभग डेढ़ साल में मेमने देने योग्य हो जाती है तथा छह महीने में मेमने पैदा करती है। एक बकरी सामान्यतः दो से तीन मेमनों को जन्म देती है।

कैसा हो बकरी आवास:

बकरियों को आहार के लिए चारागाह ले जाते हैं लेकिन अगर चारागाह उपलब्ध न हो या चारागाह की कमी हो तब भी बकरी पालन Goat farming व्यवसाय आसनी से कर सकते हैं। चारागाह की कमी हो जाने की वजह से बकरियों को आवास में रखकर पालना अधिक लाभप्रद हो सकता है। अच्छे आवास के लिए 12 से 15 वर्ग फीट स्थान प्रति बकरा/बकरी आवश्यक है।

  • बकरियों के आवास में हवा और प्रकाश की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
  • 25 से 30 बकरियों के लिए 20 फीट चौड़े और 20 फीट लम्बे आवास की जरूरत होती है.
  • बकरियों के आवास का फर्श कच्चा होना चाहिए, ताकि बकरियों का यूरिन जमीन में जा सके.
  • फर्श की मिट्टी रेत जैसी होनी चाहिए.
  • दोस्तों बकरी की यूरिन और मेंगनी से मीथेन गैस निकलती है, जिसका असर 1.5 से 2 फीट की ऊंचाई तक रहता है| याद रखें कि बकरी के घर की ऊंचाई 2 फीट से ज्यादा होनी चाहिए । अन्यथा मिथेन गैस से बकरी बीमार पड़ सकती है।
  • दोस्तों 100 बकरीयो पर एक महा में एक ट्रॉली मेंगनी निकलती है, जो की एक हजार रुपये या इस से अधिक की बिकती है|

Leave a Comment