दोस्तों आज हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया (Dhan ki Kheti) के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे करके आप कम खर्चे मे ज्यादा कमाई कर सकते और लाखों रुपये का मुनाफा बना सकते हैं। आज हम आपको धान/चावल Dhan ki Kheti की खेती (RICE) के बारे में बताने जा रहे हैं ये एक अच्छा बिजनेस आइडिया हो सकता हैं।
दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि धान/चावल की खेती कैसे की जाती है और धान उगाने का सही समय और इसकी दो प्रमुख विधियों की जानकारी दे रहे हैं जो हमारे देश में अधिक प्रयोग में लाई जाती है।
धान एक ऐसी फसल है जो लगभग पूरे भारत में की जाती है। धान को खरीफ फसल भी कहते है
धान की फसल को चावल की फसल के नाम से भी जाना जाता है। धान भारत समेत कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल है। भारत की मुख्य फसल धान/चावल (RICE) है। जिसको मुख्यतौर पर मॉनसून की खेती भी कहा जाता है।
धान/चावल Dhan ki Kheti की खेती सबसे ज़्यादा कहाँ की जाती है?
भारत में धान का 80 प्रतिशत उपभोग आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल आदि राज्य करते हैं। धान की खेती पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक की जाती है। भारत में धान की खेती करने वाले राज्य है, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार और छत्तीसगढ़ आदि। भारत में 65 प्रतिशत आबादी धान पर ही निर्भर है।
दोस्तों दुनिया में मक्का (CORN) के बाद अगर कोई फसल सबसे ज्यादा उगाई जाती है तो वो धान/चावल (RICE) है।
चावल की खेती कैसे करें ?
कुछ बातों का शुरु से ही ध्यान रखा जाए तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी।
दोस्तों किसी भी चीज़ की खेती करने के लिए दो बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है
1. बीज 2. जमीन
- बीज महंगा होना जरुरी नहीं है बल्कि विश्वसनीय और आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए।
- धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना जरुरी है। इसलिए बुवाई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए।
- धान की किस्में जगह के हिसाब से विकसित की जाती हैं, इसलिए आपको को अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से विकसित किस्मों की ही खेती करनी चाहिए।”
- हमारे किसान भाइयो अगर आप मई की शुरुआत में ही धान की खेती की तैयारी शुरू कर दे तो मानसून आने पर धान की रोपाई आसानी से की जा सकती है ।
- किसानों को बीज के शोधन के प्रति हमेशा जागरूक होना चाहिए। बीज शोधन के प्रति हमेशा जागरूकता धान को कई तरह के रोगों से बचाया जा सकता है।
- चावल के बीज बोने के करीब 10-15 दिन के बाद कीटनाशक और फफूंदी नाशक छिड़काव करें. आप चाहें तो केमिकल के स्थान पर नीम पत्तियों का घोल बनाकर भी छिड़काव कर सकते हैं.
धान की खेती Dhan ki Kheti करने का सही समय क्या होता है Dhan ki kheti kab hoti hai?
दोस्तों अगर हम बात करे की चावल की खेती किस महीने में की जाती है तो हम बता दे कि मई के महीने में धान की पौध लगाने का काम शुरू किया जा सकता है। ताकि जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह मे धान की रोपाई की जा सके। अगर मई में इसकी नर्सरी तैयार कर ली तो जून में इसकी बुआई/रोपाई का काम शुरू कर सकते है। इससे धान रोपाई का काम करना बहुत ही आसान हो जाता है यदि आप सही समय पर धान की नर्सरी तैयार कर ली जाए तो। धान की किस्म के आधार पर इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अलग होता है, जो इस प्रकार से है
- धान की नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह से तक लगाई जा सकती है।
- धान की बासमती किस्मों के लिए जून के पहले सप्ताह में लगाई जाती है।धान की सीधी बुवाई विधि धान की सीधी बुवाई विधि
दोस्तों धान की खेती Dhan ki Kheti हर किसान भाई नहीं कर सकता क्यूकि दोस्तों धान की खेती करने के लिए ज्यादा पानी की जरुरत होती है। लेकिन आज हम आपको ऐसी विधि बताने जा रहे है जिससे की हमारे सभी किसान भाई आसानी से धान की खेती Dhan ki Kheti कर सकेंगे। दोस्तों सीधी बुवाई विधि एक ऐसी विधि है जिसमे काम पानी की जरुरत होती है।
हमारे किसान भाई सीधी बुवाई विधि से कम पानी में धान की पैदावार ले सकते हैं। यह विधि उन क्षेत्रों के लिए काफी फायदेमंद उपयोगी है जहां सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता नहीं है। दोस्तों हरियाणा व पंजाब खेती करने वाले राज्य है लेकिन इन राज्यों में भी धान की बुवाई के लिए इसी विधि का काफी प्रचलन है और अच्छी बात तो यह है की सरकार भी इस विधि को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
दोस्तों जीरो टिल ड्रिल मशीन एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से धान की बुवाई आसानी से की जा सकती है। दोस्तों जिन खेतों में फसल अवशेष रह जाते है वहां हैपी सीडर या रोटरी डिस्क ड्रिल का उपयोग करके धान की बुवाई करना अच्छा हो सकता है। जीरो टिल ड्रिल मशीन में नौ कतार होती होती है।
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जीरो टिल ड्रिल मशीन से एक एकड़ में धान की सीधी बुवाई करीब एक घंटा में की जा सकती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी हो तभी जीरो टिल ड्रिल मशीन का प्रयोग धान की बुवाई के लिए किया जा सकता है। करते समय । अगर खेत में नमी नहीं हो तो खेत को थोड़ा जोत ले ताकि खेत में नमी आ सके।
जीरो टिल ड्रिल से कैसे होती है धान की सीधी बुवाई?
धान की सीधी बुवाई के लिए 45 से 50 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर से प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए प्रमाणिक(उत्तम) बीज का ही उपयोग करना चाहिए। बीज की अंकुरण क्षमता 85 से 90 प्रतिशत होनी चाहिए। अंकुरण क्षमता अगर कम हो तो बीज की दर को बढ़ाया जा सकता है।
धान की बुवाई की एसआरआई विधि Dhan ki Kheti Methods:
एसआरआई धान बुवाई की एक आधुनिक विधि है। इस विधि में वर्मीकम्पोस्ट, मिट्टी और भूसी या रेत का मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद पॉलिथीन बिछाकर तैयार किए गए मिश्रण से उठी हुई क्यारियां तैयार की जाती हैं और बाद में बीज की बोए जाते हैऔर बीजों को मिट्टी की बारीक परत से ढंक दिया जाता है। यदि मिट्टी मे नमी का अभाव हो तो इसमें पानी दे सकते है। जीरो टिल ड्रिल की इस विधि से केवल 8 से 12 दिन में पौधे राेपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। दोस्तों जब पौध में दो पत्तियां नज़ र आ जाए दिखाई देने लगे तब आप इसकी रोपाई कर सकते हैं।
कैसे करें धान की रोपाई:
धान की रोपाई एसआरआई विधि से की जा सकती है लेकिन उससे एक दिन पहले नर्सरी में सिंचाई कर दें ताकि पौधों आसानी से निकल सके। जब नर्सरी में पौधे निकालने लगे तब उसके बाद यदि जड़ों में मिट्टी रह जाये तो उसे पानी से साफ कर लेना चाहिए। ज्यादातर धान की रोपाई कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
धान की रोपाई के समय एक ही जगह पर दो से तीन पौधे लगा सकते है। दोस्तों धान की रोपाई आम तौर पर यह कार्य हाथो से किया जाता है, लेकिन अगर आप इसकी रोपाई किसी यंत्र से कर रह हैं तो धान की बुवाई में समय व श्रम दोनों की बचत होगी।
धान की खेती के लिए पानी की आवश्यकता अधिक होती है। एक किलो धान/चावल (RICE) को उगाने के लिए कम से कम 2500 से 3000 लीटर पानी की जरुरत होती है
दोस्तों किसी भी चीज़ की खेती करने के लिए दो बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है
1. बीज
2. जमीन
इसलिए बीजों का अच्छा होना बेहद जरुरी हैऔर बुवाई से पहले खेत का निरिक्षण करना चाहिए।
बीज महंगा होना जरुरी नहीं है बल्कि विश्वसनीय और आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए।
बीज को ऐसे करें अंकुरित:
उपचारित बीज को गीले बोरे में लपेटकर ठंडी जगह में रखें और समय-समय पर बोरे पर पानी डालते रहें। लगभग 2-3 दिनों बाद बोरे को खोलें। इस तरह अंकुरित हुए बीज नर्सरी डालने के लिए तैयार होते हैं।
दोस्तों आज हमने आपको बताया कि धान/चावल की खेती कैसे की जाती है और कब की जाती है ,धान उगाने का सही समय और इसकी दो प्रमुख विधियों कोण सी है जो हमारे देश में अधिक प्रयोग में लाई जाती है।
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धन्यवाद