जाने कपास(Cotton farming) की खेती से कैसे होगा कम लागत मे ज्यादा मुनाफा 2024

दोस्तों आज हम आपको कपास की खेती (Cotton farming) के बारे में बताने जा रहे हैं ये एक अच्छा बिजनेस आइडिया हो सकता हैं। जिसे करके आप कम खर्चे मे ज्यादा कमाई कर सकते और लाखों रुपये का मुनाफा बना सकते हैं।

दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि कपास की खेती कैसे की जाती है और कपास उगाने का सही समय, मौसम और इसकी प्रमुख विधियों की जानकारी दे रहे हैं जो हमारे देश में अधिक प्रयोग में लाई जाती है

कपास(Cotton farming) की खेती

कपास की खेती भारत की मुख्य रेशे वाली और व्यापारिक फसल है।कपास को रुई की खेती भी कहते हैं। कपास की फसल एक ऐसी फसल है जिसको पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती इसके लिए  लगभग 6 प्रतिशत पानी सिंचाई करने के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत की लगभग (अनुमान) 9.4 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती की जाती हैं.

कपास की खेती कहां होती है?

दोस्तों कपास की खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, तामिलनाडू और महांराष्ट्र राज्य में बड़े स्तर पर की मुख्य फसल है। गुजरात कपास की खेती में पहले स्थान पर आता है और इसके बाद महांराष्ट्र दूसरे नंबर पर और फिर पंजाब की बारी आता है। कपास पंजाब की सब से ज्यादा उगाई जाने वाली खरीफ फसल है ।

  • कपास की खेती को नगदी फसल भी कहा जाता है। दोस्तों इसकी खेती से आपको अच्छा मुनाफा मिलता है । कपास की कई प्रकार की प्रजातियाँ हैं, जिनसे आप ज्यादा पैदावार ले सकते है। दोस्तों लम्बे रेशो वाली कपास सबसे ज्यादा अच्छी मानी जाती है ।
  • देश के वित्तीय विकास में भी कपास का बहुत ही महत्तवपूर्ण स्थान है ।
  • कपास की खेत लाखो किसानों को रोजगार देने वाली खेती है और कपास के उद्योग से हजारो-लाख लोगों को काम मिलता है।
  • कपास की खेती श्वेत स्वर्ण के नाम से जानी जाती है ।

कपास की खेती कब होती है?

कपास की खेती के लिए सही मोसम ?

कपास की फसल लंबी अवधि की फसल है. कपास के लिए साफ़, गर्म और शुष्क जलवायु सही होती है।  इसके बीजों के अंकुरित होने के लिए 18 से 20 डिग्री सेल्सियस और बढ़ने के लिए 20 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान जरुरी  होता है. कपास के लिए कम से कम और ज्यादा तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस होनी चाहिए।

कपास

कपास की खेती के लिए कैसी हो मिट्टी ?

दोस्तों कपास की खेती क लिए सही मिट्टी  की जानकारी होना बहुत जरुरी  है क्योंकि कपास की फसल को लगभग छह महीने तक लगते है तैयार होने में।  कपास की बिजा रोपण के लिए रेतली या  खारी या जिसमे जल जमाव हो वह वाली मिट्टी ठीक नहीं होती। कपास की खेती के लिए मध्यम से गहरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए।

कपास की बोवाई कैसे करे ?

सिंचित गैर-बीटी किसी भी फसल का समय पर बुवाई आवश्यक है , इस तरह अगर कपास की बोवाई देर से की जाये तो बारिश या कीटों और बीमारियों के प्रकोप के कारण नुकसान हो सकता है. कपास की समय पर बुवाई आवश्यक है. बीज रोपने के बाद थैलियों में 4-6 इंच के छेद करके इसे खाद से भर दे और थेलियो को पेड़ की छाँव में रखे और इनको पानी दे।

कपास

कपास में कौन सा खाद डालें ?

किसी भी फसल में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग जरूरी है इस प्रकार कपास की फसल में भी खाद एवं उर्वरको का प्रयोग जरूरी है नहीं तो उत्पादन मे कमी आ सकती है. खाद एवं उर्वरको का प्रयोग मिट्टी के निरिक्षण के आधार पर करना चाहिए यदि मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की कमी हो तो उनकी पूर्ति करे.

किसानों को कपास की खेती से अच्छा मुनाफा मिल सकता है। बाजार में कपास की कई प्रजातियाँ है जिनसे ज्यादा पैदावार मिल सकती है। 

इसकी ज्यादा पैदावार तटीय इलाकों में होती है. कपास की खेती करने के लिए ज्यादा मेहनत की जरुरत होती है। कपास का प्रयोग कपड़ा बनाने में बहुत ज्यादा किया जाता है.

कपास की मुख्य किस्में:

दोस्तो यू तो कपास की बहुत सारी किस्में हैं लेकिन यहां हम आपको कुछ किस्में के नाम बता रहे हैं जो कि नीचे लिखी हैं।

  • RCH134Bt
  • Ankur 651
  • Whitegold
  • LHH 144
  • F1861
  • F1378

यदि आप कपास की किस्मों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हमारे लेखों का अनुसरण करें।

कपास

सिंचाई व जल निकास

कपास की उपज सिंचाई एवं जल निकास पर आधरित होती है। पहली सिंचाई कपास की बुवाई के 30-35 दिनों बाद होनी चाहिए। अगर वर्षा नहीं हो तो 2 से 3 सप्ताह मे  ही सिंचाई कर लेनी चाहिए । यदि दोपहर में पौधों की पत्तियां मुरझाने लगे तो सिंचाई कर देनी चाहिए। सितम्बर के बीच में भी कभी-कभी पानी की आवश्यकता होती है।

दोस्तों कपास की सिंचाई के समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि पानी पौधों के पास न रूके। दोस्तो इसी तरह बरसात के समय भी ध्यान रखना चाहिए ताकि पौधे पीले पड़कर मर जाते है। अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पौधे के पास रूकने वाले पानी को यथाशीघ्र निकाल दें। खेत में जल निकास हेतु एक मुख्य नाली का भी होना आवश्यक है।

रोग एवं नाशीजीव का प्रबन्ध

रोग तथा कीट उपज में सबसे बड़ी रूकावट है। फसल को रोगों और कीटों से बचाने के लिए निमन् उपाय अपनाये।

  • आई.पी.एम. विधि द्वारा कीट नियंत्रण करें।
  • कीटनाशकों का प्रयोग करें।
  • 150-200 लीटर पानी के द्वारा शक्ति चालित मशीन से छिड़काव किया जा सकता है.जबकी नेपसेक मशीन में 600-800 ली./हे. पानी की जरुरत होती है।

कपास की खेती में आई.पी.एम. विधि द्वारा कीट नियन्त्रण

फसल को जहां कीटनाशी जीव क्षति पहुंचाते हैं कीटनाशक रसायनों के अन्धाधुंध प्रयोग से ये लाभप्रद कीट भी मर जाते हैं। कपास की फसल में जहां पूरी फसल कीटनाशी जीव/कीड़े क्षति पहुंचाते हैं और लगातार रासायनिक उपचार से भी पूरी फसल–पर्यन्त कीड़े क्षति करते हैं ।

आई.पी.एम पद्धतियों के उपाय से कपास की खेती कैसे करे।

खेती सम्बन्धी उपाय

  • ऐसे खेत चुने जिसमें तिल अथवा कपास की फसल न ली गई हो।
  • गहरी जुताई करके गर्मी में खेत को खुला छोड़।
  • अप्रैल महीना शुरू होने से पहले बिनौला की पेराई कर ले।
  • कपास की बुवाई समय से करना ।
  • प्याज अथवा लोबिया के साथ मिली-जुली खेती करना।
  • भिन्डी एवं मूंग की फसलें कपास के साथ न उगाए।
  • खेत तथा उसके आस-पास खरपतवारों को प्रभावी नियंत्रण करना।

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